हमें क्यों चाहिए लोकपाल?
मोटे तौर पर, लोकपाल कानून बनवाने के दो मकसद हैं -
पहला मकसद है कि भ्रष्ट लोगों को सज़ा और जेल सुनिश्चित हो। भ्रष्टाचार, चाहे प्रधानमंत्री का हो या न्यायधीश का, सांसद का हो या अफसर का, सबकी जांच निष्पक्ष तरीके से एक साल के अन्दर पूरी हो। और अगर निष्पक्ष जांच में कोई दोषी पाया जाता है तो उस पर मुकदमा चलाकर अधिक से अधिक एक साल में उसे जेल भेजा जाए।
दूसरा मकसद है आम आदमी को रोज़मर्रा के सरकारी कामकाज में रिश्वतखोरी से निजात दिलवाना। क्योंकि यह एक ऐसा भ्रष्टाचार है जिसने गांव में वोटरकार्ड बनवाने से लेकर पासपोर्ट बनवाने तक में लोगों का जीना हराम कर दिया है। इसके चलते ही एक सरकारी कर्मचारी किसी आम आदमी के साथ गुलामों जैसा व्यवहार करता है।
प्रस्तावित जनलोकपाल बिल में इन दोनों उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए सख्त प्रावधान रखे गए हैं। आज किसी भी गली मोहल्ले में आम आदमी से पूछ लीजिए कि उन्हें इन दोनों तरह के भ्रष्टाचार से समाधान चाहिए या नहीं। देश के साथ ज़रा भी संवेदना रखने वाला कोई आदमी मना करेगा? सिवाय उन लोगों के जो व्यवस्था में खामी का फायदा उठा उठाकर देश को दीमक की तरह खोखला बना रहे हैं।
जन्तर मन्तर पर अन्ना हज़ारे के साथ लाखों की संख्या में खड़ी हुई जनता यही मांग बार बार उठा रही थी। देश के कोने कोने से लोगों ने इस आन्दोलन को समर्थन इसलिए नहीं दिया था कि केन्द्र और राज्यों में लालबत्ती की गाड़ियों में सरकारी पैसा फूंकने के लिए कुछ और लोग लाएं जाएं। बल्कि इस सबसे आजिज़ जनता चाहती है कि भ्रष्टाचार का कोई समाधान निकले, रिश्वतखोरी का कोई समाधान निकले। भ्रष्टाचारियों में डर पैदा हो। सबको स्पष्ट हो कि भ्रष्टाचार किया तो अब जेल जाना तय है। रिश्वत मांगी तो नौकरी जाना तय है।
If You Enjoyed This Post Please Take 5 Seconds To Share It (you can find more government jobs in India in this site please visit regularly)
Widget by Css Reflex | TutZone
0 comments:
Post a Comment